विदेशों से भी आते हैं श्रद्धालु जानें खासियत- दिल्ली से तक़रीबन 115 किलोमीटर दूर और उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपथ मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर फैला हुआ डेरा बाबा खड़क सिंह का गुरुद्वारा है।
प्रमुख आस्था का केंद्र है
यह गुरुद्वारा सिख समुदाय के लोगों का प्रमुख आस्था का केंद्र है। यहां पर साल भर तक सिख समुदाय के लोगों का प्रमुख आस्था का केंद्र बना हुआ है।
यहां पर पूरे साल भर तक सिख श्रद्धा वालों का आना-जाना लगा रहता है। हार तीन साल में लगने वाला पांच दिवसीय मेले में लाखो की संख्या मे देश विदेशसे सिख श्रद्धालु यहां पर माथा टेकने आते रहते हैं।
विदेश मे भी मान्यता है
बताना चाहते हैं कि इस गुरुद्वारे की मान्यता देश के साथ-साथ विदेश में भी काफी ज्यादा देखने को मिलती है. आपको बताना चाहते हैं कि बाबा खड़क सिंह एक महान योद्धा थे।
इसके अलावा उनका इतिहास काफी ज्यादा गौरवशाली है। इनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि औरंगजेब के शासंकाल से जुड़ी हुई बताई जाती है।
होशियारपुर के गांव में जन्म हुआ था
बाबा खड़क सिंह का जन्म पंजाब के जिले होशियापुर गांव में हुआ था. गुरुओ के आदेश पर बाबा खड़क सिंह देश भर में सिख धर्म का प्रचार करने में लगे पड़े थे.
तक़रीबन 300 वर्ष पूर्व इसी कर्म में वह जनपद बुलंदशहर के कस्बे जहांगीरबाद पहुंचे थे। उन्होंने यहां पर कुटिया बनाकर आसपास के क्षेत्र में सिख धर्म का प्रचार किया था।
यहीं पर रुक गए थे
इसके बाद वह यहीं पर रुक गए थे. जहांगीरबाद में बाबा खड़क सिंह का शरीर पूरा हो गया था. इसके अलावा उनकी आखिरी इच्छा के अनुसार गंगा किनारे अहार क्षेत्र मे समाधि बनाई गई थी।
यह समाधि परिसर तकरीबन 16 एकड़ भूमि में फैली हुई है. यह आज बाबा खड़क सिंह गुरुद्वारा के नाम से जानी जाती है। बताना चाहते हैं कि हर साल जून के महीने में यहां पर बड़ा मेला आयोजन किया जाता है।
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