हिटलर और पीएम मोदी की तुलना करने वाला ये कोलाज एडिटेड है– अपने चुनाव अभियान के तहत, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के कलबुरगी में बच्चों से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी बच्चों से कंटीले तारों के दूसरी तरफ थे. इसे लेकर विपक्षी पार्टी के नेता उनकी आलोचना कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर इस घटना के सिलसिले में दो तस्वीरों का एक कोलाज वायरल हुआ है। इसकी पहली फोटो में प्रधानमंत्री मोदी कलबुर्गी में बच्चों के साथ नजर आ रहे हैं। एक दूसरी तस्वीर में हिटलर कथित तौर पर कांटेदार तार के पीछे बच्चों से मिलते हुए दिखाया गया है।
इसे शेयर करने वाले कई लोगों के अनुसार, इस कोलाज में पीएम मोदी और हिटलर के बीच तुलना की गई है।
फेसबुक की इस तस्वीर के कैप्शन में लिखा है, “इतिहास खुद को दोहराता है। कंटीले तारों के पीछे छिपा है भविष्य। सतर्क रहें।”
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल कोलाज की हिटलर वाली तस्वीर फर्जी है. ये तस्वीर, कंटीले तारों के पीछे खड़े बच्चों और हिटलर की दो अलग-अलग तस्वीरों को जोड़कर बनाई गई है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
11 दिसंबर, 2022 की ‘द गार्जियन’ की एक रिपोर्ट में हमें बच्चों के साथ हिटलर की कथित मुलाकात की फोटो मिली। इस तस्वीर में सितारों के पीछे खड़े बच्चे ही नजर आ रहे हैं। इसका हिटलर से कोई लेना-देना नहीं है।
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कैप्शन में लिखा है कि इन बच्चों को लाल सेना ने जनवरी 1945 में ऑशविट्ज़ मौत शिविर से बचाया था। पोलैंड में, ऑशविट्ज़ नाजी शासन द्वारा संचालित सबसे बड़ा यातना शिविर था। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहूदियों को नाजी खुफिया एजेंसी एसएस पूरे यूरोप से यहां लाई थी।
तो हिटलर की फोटो कहां से आई?
हिटलर वाली फोटो हमें ‘agefotostock’ नाम की एक फोटो वेबसाइट पर मिली. इसी फोटो के रंग में एडिटिंग के जरिये थोड़ा बदलाव करके इसे वायरल कोलाज में इस्तेमाल किया गया है.
पिछले साल भी एक ही बुक शेल्फ में रखी पीएम मोदी और हिटलर पर आधारित किताबों की नकली फोटो शेयर करके गलत खबर फैलाई गई थी. उस वक्त भी हमने इसकी सच्चाई बताई थी.