कई पापड़ बेलने के बाद मिले अच्छे रोल – बॉलीवुड में ना जाने कितने चेहरे रोजना की एंट्री लेने की कोशिश करते हैं और ना जाने कितने लोगों के रोज दिल टूट जाते हैं.
चद लोगों को ही मौका मिल पाता है कुछ कर दिखाने का.पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्को टैलेंटेड होते हुए भी सक्सेस काफी टाइम बाद मिली.
हां तो उनको आसनी से कम नहीं मिलता था और अगर मिल भी जाता था तो वह ऐसे रोल हुआ करते जिस पर कोई ध्यान भी नहीं देता था.
ऐसे बहुत से कलाकार हैं जो कम तो बॉलीवुड में एक वक्त से करते हैं.मगर असली पहचान उन्हें आज मिली है.ऐसे ही एक कलाकार है मनोज वाजपेयी
नहीं थी हीरो वाली शख्सियत
मनोज बाजपेयी ने एक संघर्षरत अभिनेता के रूप में अपने पहले के दिनों के बारे में बात की, जब उन्हें बताया गया कि उनके पास नायक या खलनायक बनने की शक्ल नहीं है।
उन्होंने कहा, “चेहरे पे ही बोल देते थे। वैसे अच्छा हुआ बोल देते थे, मौका नहीं दिया सोचू के कभी बड़ा हीरो बनूंगा।” ) लोग कहते थे कि तुम न तो नायक की तरह दिखते हो और न ही खलनायक।
इसलिए वे हमेशा मुझे खलनायक के सहयोगी के रूप में रखते थे, यहां तक कि नायक के दोस्त के रूप में भी नहीं
अभिनय में किसी से कम नहीं
इतना कुछ सुनने के बाद भी मनोज ने ये सिद्ध कर दिया कि अच्छा अभिनय बनने के लिए आपको चाहिए कि नहीं टैलेंट की जरूरत होती है जो उनके पास मौजूद है
और उसी के दम पर मनोज ने स्कूल,गैंग्स ऑफ वासेपुर, सत्या,जुबैदा, फैमिली मैन, फ़र्ज़ी जायसी फिल्म और शो किए हैं और खुदको कामयाब बनाया है
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