बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री में लेखक का रोले अहम माना जाता है- मनोरंजन की दुनिया में लेखकों द्वारा कई ऐसे ओरिजिनल कंटेंट देखने को मिले है जोकि लोगो को सोचने पर मजबूर कर देते है। बॉलीवुड में कई पुस्तकों से प्रणीत होकर बॉलीवुड में फिल्मे बनायीं गई है। दुर्वेश यादव अपने अनुभव से आज के नए लेखकों को एक तरह दिशा देने का पर्यतन कर रहे है।
हम देख रहे की आज की तारीख में बॉलीवुड में कंटेंट के नाम पर लोगो को गुमराह किया जा रहा है। लेकिन कई ऐसी फिल्मे भी है जिसे आज की तारीख में अश्लील फिल्मो से ज्यादा प्रसारण की जरुरत है। जिस फिल्मो का कोई आधार नहीं होता है और जो भारतीय संस्कृति के विपरीत होती है उन फिल्मो को ज्यादा प्रसारित किया जाता है।
ऐसे में जो लेखक इस छेत्र में रुचि रखते है और अपने विचारो को बड़े परदे पर लाना चाहते है तो उन्हें अपनी क़ाबलियत को उच्च स्तर पर ले जाने की जरुरत है और उनके पास अपने लिखे हुए को दुनिया के सामने लाने का एक मौका है।
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टीवी इंडस्ट्री में एक लेखक की भूमिका काफी ज्यादा होती है, क्योकिं उनकी लिखी हुई कहानी से दर्शकों की भावनाएं जुडी होती है। लेखकों के लिए उनके पाठको या फिर दर्शकों से सिर्फ सरहाना की उम्मीद होती है। समाज में एक लेखक बिना लालच के अपने विचारो को लोगो के सामने रखता है।
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दुर्वेश यादव एक ऐसे लेखक है जिन्होंने जीवन में सकरात्मक ऊर्जा लाने का प्रयास किया है। दुर्वेश यादव अपने लिखने की क़ाबलियत को हमेशा से प्राथमिकता देते हुए नजर आ रहे है। लिखना एक ऐसी कला है जिसमे लेखक अपने विचारों को पुस्तक में डालकर लोगो के सामने दिखा सकता है।