आखिर क्यों बार बार क्यों फेल हो रही सब प्लानिंग- पिछले 5 सालों के दौरान राजधानी के वायु प्रदूषण में कमी लाने के लिए दिल्ली सरकार एनडीएमसी एमसीडी ने अनेक उपाय किये. इसके बावजूद प्रदुषण के स्तर मे अपेक्षित कमी नहीं आ सकती है.
योजनाएं तो अनेकानेक बनती रहती है
इसके पीछे एक बड़ी वजह प्रशासनिक इच्छा शक्ति इसके अलावा जन भागीदारी की कमी बताई जा रही है. केंद्रीय और राज्य सरकार के साथ-साथ विभागीय और एजेंसियों के स्तर पर भी योजनाएं तो अनेकानेक बनती रहती है.
लेकिन उन पर इच्छा शक्ति के साथ अमल नहीं हो पता है. यहाँ तक कि उनकी योजनाओं का प्रचार प्रसार तक सही तरीके से नहीं किया जाता है. इसी कारण इन योजनाओं में जन भागीदारी भी नहीं देखने को मिलती है।
जोकि वायु प्रदूषण रोक धाम के लिए काफी ज्यादा जरूरी होती है. ईपीसीए को खत्म कर दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव एमएम किट्टी के अध्यक्षता में बनाया गया वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग प्रदूषण के रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय कर पाने में सफल नहीं हुआ है।
मजाक बना रहे हैं
प्रदुषण का स्तर बड़ जाने पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध हटा दिए जाते हैं और प्रदूषण बना रहता है। दोनों के बीच में अक्सर तालमेल नहीं दिखाई देता है.
लगता है कि सीएक्यूएम जमीनी हकीकत पर कम और दाएं- बाएं से मिले दिशा निर्देशों तथा ज्ञापन-अनुरोधों पर ज्यादा चलता है। इपिसीए थी तो अध्यक्ष भूरेलाल आधी रात को भी सड़कों पर नजर आ जाते थे।
फोन पर भी नहीं मिलते
लेकिन आपको बताना चाहते हैं कि सीएक्यूएम के पदाधिकारी फोन पर भी नहीं मिलते। वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार ने क्या क्या कदम उठाए है 4200 एकड़ से अधिक क्षेत्र में संयुक्त हार्वेस्टर का उपयोग करके धूल विरोधी अभियान चलाया गया.
निर्माण स्थलों के नियमित निरीक्षण के लिए 75 टीम गठित। 69 मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। सभी बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी स्माग गन का उपयोग किया जा रहा है।
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